हिंदी और राजस्थानी भाषा के जानेमाने कवि बुद्धि प्रकाश पारीक का जयपुर में 22 अप्रेल गुरुवार को निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार कर किया गया, जहां बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।
पारीक ने ढूंढाणी भाषा में विशेष रूप से व्यंग्यात्मक काव्य के द्वारा अपनी एक खास पहचान बनाई। वे राजस्थानी भाषा के अतिरिक्त हिंदी, उर्दू व ब्रज भाषा में भी पूर्ण अधिकार पूर्व काव्य सृजन करते थे। चूंटक्यां, चबड़का, तिरसा, कलदार, सिणगार, मैं गयो चांद पर एक बार, नाक और इंदर सूं इंटरव्यू इनकी खास रचनाएं थीं, जिनकी बदौलत उन्होंने कई दशकों तक श्रोताओं के दिलों पर राज किया। उनको कवि रत्न, साहित्यश्री, लंबोदर, मिर्जा गालिब व मारवाड़ी सम्मेलन का सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया गया। उनके निधन पर बिहारी शरण पारीक, किशोर जी किशोर, शोभा चंदर पारीक, चंद्रप्रकाश चंदर, गोविंद मिश्र, नंदलाल सचदेव, चंपालाल चौरड़िया, फारुख इंजीनियर और रफीक हाशमी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों और साहित्य अनुरागियों ने शोक व्यक्त किया है।
समाचार
कविवर बुद्धिप्रकाश जी पारीक की स्मृति को सादर नमन!
जवाब देंहटाएंचित्तौडगढ शहर की और से संवेदनाएं....
जवाब देंहटाएंसादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से जुड़ाव
अपनी माटी
माणिकनामा
दुखद
जवाब देंहटाएं"बाबू वर्णां सूं बण्यो कविकुल को इतिहास
जवाब देंहटाएंबाल्मीकी छा आदि कवी अंतिम बुद्धि प्रकाश"
श्रद्धेय बुद्धि प्रकाशजी को हार्दिक श्रद्धांजलि !
ईश्वर उनको अपने निकटतम स्थान दे !