किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।

किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



बुधवार, अक्तूबर 08, 2014

हास्यमेव जयते..

हास्यमेव जयते..कल जकासा पर दिए पति-पत्नी विषय पर दो छक्के
(१)
अफ्रीका जंगल गए, नव दम्पत्ती एक
पत्निजी पर कर दिया, शेरों ने अटैक
शेरों ने अटैक, जोर से वो चिल्लाई
शूट करो पतिदेव, मौत दे रही दिखाई
चीखो मत तुम प्रिये,भय से हाथ हिल रहा
कैसे कर दूँ शूट, केमरा नहीं चल रहा
(२)
मिलन फेसबुक पर हुआ,ट्वीटर पर रोमान्स
यू-ट्यूब पर किया,म्यूजिक के संग डाँन्स
म्यूजिक के संग डाँन्स,वहीं गृह दोष मिलाए
बिन मेरिज ब्यूरो के, ई-दुल्हन ले आए
कह 'किशोर' कविराय,भाग्य ने गोली दागी
दुल्हा रोता छोड, माल ले दुल्हन भागी
किशोर पारीक 'किशोर']

अबके रावण नहीं लड़ा

अबके रावण नहीं लड़ा
हँसता रहा खडा-खडा
सबसे बोला मस्त रहो
एक शब्द भी मत कहो
सभी दिखे लाचार से
भ्रस्टाचारी मार से
महंगाई की युक्ति है
लड़ने से अब मुक्ति है
रावण सुख से सोयेगा
आम आदमी रोयेगा

किशोर पारीक' किशोर"

किसान

(१)
धरती का वो पुत्र है, उपजाता है अन्न
दाता होकर भी रहा, देखो यार विपन्न
(२)
अर्थव्यवस्था देश की, खेती ही आधार
मरने को मजबूर क्यों, कृषक यहाँ लाचार
(३)
अन्न उगा कर भी रहा, भूखा खेतीहार
सोलह दूनी आठ था, बनिये का व्यापार
कुछ देशभक्ति की ताजा- ताजा पक्तिंया...
होली, ईद पे जनता,
खुशी से झूम जाती है !
माँ भारती भी गर्व से, 
जब मुस्कुराती है !
शहीदों की शहादत और,
सरहद अडिग सैनिक !
न जाने क्यों मुझे हर दिन,
उन्ही की याद आती है !
किशोर
जिन्हें आकाश मिल जाये वो घर को भूल जाते हैं,
अकेले छोड़ कर माँ बाप को खुशियां मनाते हैं,
परिन्दों पे कही बातें हमें लगती हैं अब मिथ्या,
परिन्दे शाम होते ही घरों को लोट आते हैं
किशोर पारीक 'किशोर'

काव्‍यालोक

काव्‍यालोक
राखी बंधवा ले मेरे बीर.................   

मलसीसर, झुँझुनू (राजस्थान) के कारगिल युद्ध में शहीद अपने भाई गजराज सिंह की प्रतिमा को राखी बांधने आई छोटी बहन सुमन कँवर भाई की कलाई पर बांधते हुए फफक पड़ी | सीने में दबा दर्द आँखों में उतर आया ! 

चंद पंक्तियाँ 

राखी बंधवा ले मेरे वीर
******************
रक्षा बधंन पर मत बहना, 
नयनो में जल लाओ तुम
अपने भैया की करनी पर, 
थोडी सी इतराओ तुम
माना देकर चला गया ये,
वचन तुम्हे सुरक्षा का
लेकिन इसने वचन निभाया,
भारत माँ की रक्षा का
एेसे बलिदानी भैया की,
यादों का यह पर्व है
जौर से बोलो मेरी बहना,
इस भाई पर गर्व है
किशोर पारीक 'किशोर'