मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम क्या संभालोगे मुझको अभावों में तुम
अपने नयनो में तुमको बसाये रखूँ
कैसे नायब लगते, अदाओं में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
लम्बी रातों को छत पर, सितारों तले
बंद पलकों से, तुमको निहारा करूँ
मैं मगन हो मुदित, गुनगुनाता रहूँ सारे कोतुक में, सारी विधाओं में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
मैं किनारा इधर का,उधर के हो तुम
साथ रहते भी हैं, किन्तु मिलते नहीं
गीत मांझी के लगते, सुरीले मगर
मेरी चांहों वन तुम हो, सदाओं में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
मुझको महकाओ बन जाओ सौरभ सुमन
आओ शब् में सुनहरे से सपनो में तुम
दिल में बजता रहे, मस्त मुरली का स्वर
गुजों गलियों में गावों, फिजाओं में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
जब भी कागज़ पे चाहा, उकेरूँ तुम्हे
अश्क ढलके मेरे, रोशनाई बही
चाहना कामना, भावना, साधना
मेरी आहों निगाहों, दुआओं में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
किशोर पारीक "किशोर"
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