किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, अप्रैल 01, 2010

मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम

मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
क्या संभालोगे मुझको अभावों  में तुम
अपने नयनो   में तुमको बसाये रखूँ
कैसे नायब लगते, अदाओं में तुम
      मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
लम्बी रातों को छत  पर, सितारों तले
बंद पलकों से, तुमको निहारा करूँ
मैं मगन हो मुदित, गुनगुनाता रहूँ
सारे कोतुक में, सारी विधाओं में तुम 
    मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
मैं किनारा इधर का,उधर के हो तुम
साथ रहते भी हैं, किन्तु मिलते नहीं
गीत मांझी के लगते, सुरीले मगर
मेरी चांहों वन तुम हो, सदाओं में तुम
     मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
मुझको महकाओ बन जाओ सौरभ सुमन
आओ शब् में सुनहरे से सपनो में तुम
दिल में बजता रहे, मस्त मुरली का स्वर
गुजों गलियों में गावों, फिजाओं में तुम
       मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
जब भी कागज़ पे चाहा, उकेरूँ तुम्हे
अश्क ढलके मेरे, रोशनाई बही
चाहना कामना, भावना, साधना
मेरी आहों निगाहों, दुआओं में तुम
  मेरे शब्दों में गीतों के भावों में तुम
किशोर पारीक "किशोर"

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