किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



बुधवार, दिसंबर 14, 2011

बात पुरानी शब्‍द नये, अर्थ न जाने कहॉं गये

बात पुरानी शब्‍द नये, अर्थ न जाने कहॉं गये


सच्‍चे मन से गर चाहा,

वो बक्‍शेगा बि‍ना कहे

मंजि‍ल पे नजरें रखना,

रस्‍ते होंगे नये नये

जायेगें कुछ जाने को,

बाकी के सब चले गये

भूल भुल्‍लइया मृग तृश्‍ना

कि‍शोर तुम भी छले गये

कि‍शोर पारीक 'कि‍शोर'

धन गोरा या काला हो, स्‍वीस बैंक में जाने दो




सबको यहॉं कमाने दो, खाता है जो खाने दो

बेमतलब ना ताने दो, छोडो मि‍यॉं जाने दो

महफि‍ल में तुम चुप बैठो, जैसा गाये गाने दो

भाड में जाये जि‍ज्ञासा, चि‍ल्‍लाये चि‍ल्‍लाने दो

संयम की मत बात करो, उनको रास रचाने दो

धन गोरा या काला हो, स्‍वीस बैंक में जाने दो



कि‍शोर पारीक कि‍शोर
मंहगाई से खाटे हुई खडी है,


सदनों में जि‍न्‍दा लाशे मरी पडी है

लगा तू बहती गंगा में डूबकी

क्‍यों नारे लगाता, यंहा गडबडी है

रोता क्‍यों भूखों के लि‍ये तू प्‍यारे

गोदामों में गेंहू की बोरी सडी है

नगमें सुनाये जा तू प्‍यार के

माता भारती उधर रो पडी है

कि‍शोर पारीक 'कि‍शोर'

नव वर्ष 2012 शुभकामना

नये वर्ष पर मॉं शारदा से अरदास


देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,

नए साल में मि‍ल जाये मॉं , खुशि‍यॉं अपरम्‍पार ।


मि‍टटी, अंबर,आग, हवा, जल, में मॉं नहीं जहर हो,

सूखा, वर्षा, बाढ, सुनामी का मां नहीं कहर हो,

रि‍तुऐं, नवग्रह, सात स्‍वरों की हम पर खूब महर हो,

धरती ओढे चुनरधानी, ढाणी, गांव, शहर हो,

दशो दि‍शाओं का कर देना, अदभुद सा श्रंगार ।

देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,

नए साल में मि‍ल जाये मॉं , खुशि‍यॉं अपरम्‍पार ।


शब्‍दों के साधक को देना, भाव भरा इक बस्‍ता

मुफलि‍स से मॉं दूर करो तुम, कष्‍टों भरी वि‍वशता

ति‍तली गुल भवरों को देखें, हरदम हंसता हंसता

दहशतगर्दों के हाथों में भी दे मॉं गुलदस्‍ता

कल कल करती मां गंगा फि‍र, मुस्‍काये हर बार

देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,

नए साल में मि‍ल जाये मॉं , खुशि‍यॉं अपरम्‍पार ।


मंदि‍र के टंकारे से, नि‍कले स्‍वर यहॉं अजान के

मस्‍जि‍द की मि‍नारें गायें नगमें गीता ज्ञान के

मि‍लकर हम त्‍योंहर मनाऐं, होली और रमजान के

दुनि‍यां को हम चि‍त्र दि‍खाऐं ऐसे हि‍न्‍दुस्‍तान के

अमन चैन भाई चारे की होती रहे फुहार

देना मॉं अनुपम उपहार, देना मॉं अनुपम उपहार,

नए साल में मि‍ल जाये मॉं , खुशि‍यॉं अपरम्‍पार ।



कि‍शोर पारीक 'कि‍शोर'