किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010

गाय की गुहार


गाय की गुहार
भटक रही गली-गली, पोलीथिन खाती-खाती 
   नदी नाले दूध के जो, पोथियों में बह गए   
 कट रही गाय आज, कमलों में झुण्ड-झुण्ड
गऊ प्रेम क्षेम सब,अंक मूँद सो गए
कैसे बने कोड अब, तीन सो दो दफा जैसा
नेता सरे संसद के, गूंगे बहरे हो गए
कृष्ण तू तो गोप था, गोपाल था, गोविन्द रहा
आज तेरे वंश के ही कंस जैसे हो गए
दूध, दही, घृत देय, जगत को पोसती है 
मानव संवारती है, रूप धरे मैया का 
गांव को ये अम्ब, स्वावलंब, उपहार देती 
बैल पतवार होता, खेत रुपी नैया का 
गोधन संपन्न कहा जाता, वही देश धन्य-धन्य
करें संम्मान आप, धेनु के चैरया का 
देवता तैतीस कोटि,रोम में रमे ही रहे
कैसा प्यार पाया मेरे, कुंवर कन्हैया का 
धोरी, लाल, घूमरी, सवत्स, कपिला के संग 
कैसा प्यार पाया, मेरे कन्हैया बलभैया का
वही भूमि वही गाय, प्राण भय डकराय
आर्तनाद करे जैसे हाय-हाय, दैया का
संविधान मांही आप, धारा एक जोड़ दीजे 
ख़ूनी जैसा हस्र होवे,  गाय के कटैया का 
छोड़ काम दोड़ पड़े , गाय की गुहार पर 
भैया प्राण बचे तभी, गोविन्द की गैया का 
किशोर पारीक" किशोर"
        

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