किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, अप्रैल 01, 2010

आरक्षण के कवित्त

सदियों  से जातियों में, छोटी सी  दरार थी जो
वही अब फैल गयी, खाई जैसी हो गयी
पिछड़ों में अगड़ों में, तगडों के झगड़ों में 
देश की छबीली छवि, भाई कैसी हो गयी 
मंडल कमंडल में,  वोट बैंक बन रहे 
नेताओं की चांदी है, कमाई कैसी हो गयी 
संसद में गूंगे बहरे, बापू तेरे बंदरों की 
खोपड़ी सदेह सब, मलाई में ही खो गयी 
गूदड़ी के लालों का, ज्ञान जब व्यर्थ होगा 
श्रेष्ठता और योग्यता, को रास्त्र ठुकराएगा 
ए पी जे कलम तेरा,  दो हज़ार बीस तक का
सपना अधूरा का अधूरा, रह जायेगा
समता के न्याय की, धज्जियाँ   गर यों ही उडी
प्रतिभा पलायन फिर, कैसे रूक पायेगा 
पढ़े लिखें  युवकों को, रजगार होगा नहीं 
  पेट भरने को, वो अपराधी हो जायेगा

,
दीजिये आरक्षण तो, प्राथमिक शिक्षा से दो 
खूब पढ़वाईये, और, काबिल  बनाईये 
फेंकिये आरक्षण के, झुनझुने बैसाखियों को 
योग्यता का मापदंड, सब पे लगाईये 
त्याग दीजे विष भारी, रेवड़ियाँ बाटना
आत्म विस्वास कुछ, इनमे जगाईये 
रंगे सियारों मत तोड़ो,  मेरेदेश को तुम 
भाईयों को भाईयों, से मत लडवाईये
किशोर पारीक "किशोर"     
  
   

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