सरताज है हिमालय, कश्मीर नयनतारा
चरणों को धोये सागर, नहलाती गंगधारा
अवतार ओ पयम्बर, खेले धारा पे जिसके
ऐसा अतुल्य भारत, प्राणों से भी प्यारा !
सीरत रही है जिसकी, सद्भाव भाई चारा
बलिदान होके जिसको , वीरों ने है संवारा
उस देश को नमन है, जो मातृ भू हमारा
कुरबान उसपे होवें , गर वो करे इशारा !
किशोर पारीक'किशोरे"