धन-धान चाहिये ना सम्मान चाहिये
हे शारदे हमें तो यही दान चाहिये
देना है तो भरदेना अल्फाज में ताकत
फिर हाथ में ना तीर ना कमान चाहिये
लेखनी में शारदे मां, जान चाहिये
अशआर की तलवान में भी सान चाहिये
बजता रहे मां ज्ञान का और ध्यान का डंका
मुक्तक
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंलिखा है बधाई