पशु हार्ट अटेक से नहीं मरते
क्यों कि बो शादी नहीं करते
क्या आदमी उससे भी गया गुजरा हैं
शादी तो साक्षात दासता का पिंजरा हैं
महाराष्ट्र में लिव इन रिलेशन ने,
संबंधों पर मोहर लगाई हैं
बल्लियों उछल रहें हैं लाखों कुँवारे
यह बात उन्हें बहुत पसंद आई हे1
आदमी कुंवारा पैदा हुवा था,
कुंवारा ही जिये, कुँवारा ही मरे
जहां कही स्वादिष्ट चारा देखे,
वहीं चरे
अब भविष्य में शादी की क्या गरज
क्यू बिगड़ावे अपनी विगत
अब अनेक बुराइयों का होगा
दी एंण्ड
क्यों कि ना वाइफ होगी,
ना हसबेण्ड
पति, पत्नी और वो का चक्कर भी
दूर होगा ना लड़की मजबूर होगी
ना लड़का मजबूर होगा
लाफटर लतीफ़ों में कैसे
पत्नी को कोसेगें
कवि गीतों में कैसे
हास्य परोसेगें
घर घर सियासत की तरह
गठ बंधन होंगे
सत्ता सुख की तर्ज पर
गृह सुख मिल बांट खायेंगे
क्लेश हुवा तो फिर
अलग अलग हो जायेगें
जब मूढ़ हुवा तो
बिन फेरे हम तेरे
नहीं तो तू तेरे मैं मेरे
सबसे ज्यादा चिंता तो हमें
एकता कपूर की सता रही हैं
वो पठठी तो ज्यादातर
सास बहू के सिरियल ही बना रही हैं
अब बन्द हो जायेगा
सालियों का जूते छिपाना
भूल जायेगें सलमान का वो गाना
दीदी तेरा देवर दीवाना
हाय राम कुडियों को डाले दाना
अब बेटी के बाप को
चौरासी लाख योनियों के
संचित पाप को
बेटे के बाप
अर्थात पीवने सांप
के चरणों में पग़डी रखने की
नौबत नहीं आयेगी
आँखें भी आंसू नहीं बरसायेंगीं
न ही बिटिया दहेज़ के लिये
जलाई जायेगीं
लिव इन रिलेशन हेतु
अब कुण्डली नहीं
सेलेरी स्लिप की बात होगी
सुहाग रात प्रत्येक रात होगी
पिछले प्रेम संबंधों का नहीं होगा फेरा
एक के मरते ही दूसरे की जिंदगी में
फिर आयेगा नया अँधेरा
नया फूल देखकर तितलियां
गुनगुनायेगी
सुन्दर घाट देखते ही मछलियां
आशियाना वहीं बसायेगी
मियां बीबी राज़ी तो क्या करेगा काजी
जैसे नारे होंगे बहुतेरे
या गाने होंगे बिन फेरे हम तेरे
सेक्स, रोमांस, मोज-मस्ति,
हम तो नये जमाने की बात करतें हैं
सांस्कृतिक पतन, चरित्र हनन,
ये आप किस जमाने की बात करतें हैं।
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