मन में मधु थाल में अक्षत, माथे पर रोली चन्दन
कच्चे धागे में बांधा है, बहिनों ने पक्का बन्धन
राखी तो प्यारा बंधन हैं, भाई जिसे समझता हैं
राखी तो रिश्तों का चंदन, जग में सदा महकता हैं
राखी का कच्चा धागा तो, तोड़े से ना टूटेगा
स्नेह प्रेम का यह अपनापन, मरने पर ही छूटेगा
रक्षा बंधन के धागे को, भैया कभी लजाओ मत
घर में अपनी बहनों के आँखों में आंसू लाओ मत
सोने की हो या चाँदी की, या धागों की हो राखी
राखी ममता, राखी समता, संबंधों की यह राखी
राखी तो दृढ़ता रिश्तों की, धड़कन हैं या स्पंदन
कच्चे धागे में बांधा है, बहिनों ने पक्का बन्धन
गाँवों में शहरों में पहल, रिश्तों की पावन ज्योति थी
हर घर की मां बहने-बेटी, अपनी जैसी होती थी
अब अबला का घर से बाहर, ज्यों ही पाँव निकलता हैं
भूकी नंगी आंखों में लालच का लहू टपकता हैं
एक हाथ को आज यहां पर, दूजे को विश्वास को नहीं
खुद अपना ही हो जाये कब, बेगाना आभास नहीं
सम्मुख बंधी अबोध बहिन को, धूर्त पड़ोसी कहता हैं
मेरे सामने वाली खिड़की में, इक चाँद का टुकड़ा रहता हैं
उसी चाँद को बहिन मानकर, करलो उसका अभिनंदन
कच्चे धागे में बांधा है, बहिनों ने पक्का बन्धन
राखी का मतलब रक्षा हैं, तो वृक्षों के बाधों तुम
वरना जंगल हो जायेगें, कल तक इस धरती से गुम
मूक परिंदों को सहलाओं, रक्षा के इन धागों से
आखेटक को दूर भगाओं, खग, मृग, वन के बाधों से
ऐसी राखी रचो बंधुवर, खड़ा हिमालय मुस्काए
गंगोत्री पर बाधों राखी, गंगा गद-गद हो जाये
संकेतों में बांधो राखी, झीलों और तालाबों को
सहलाओं धरती माता के, दर्द भरे इन घाओं को
चौदह बरस विपिन में राखी, रहे बाँधते रघुनंदन
कच्चे धागे में बांधा है, बहिनों ने पक्का बन्धन
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे सब, आपस में बाँधे राखी
धन-कुबेर, मुफलिस को बॉंधे, भोली जनता को खाकी
आओ हम सब मिलकर बाँधे, लोकतंत्र को अब राखी
सैनिक सबसे पहले जाकर, सरहद को बाँधे राखी
विक्रेता क्रेता को बॉंधे, वैद्य हकीम बीमारों को
यारों राखी बांध सँभालो इन दुर्बल सरकारों को
पण्डित मुल्ले मन से बाँधे, अल्लाह और भगवान को
संविधान को नेता बाँधे, मंत्री निज ईमान को
निश्चित ही राखी रोकेगी, मां बहिनों का यह क्रंदन
कच्चे धागे में बांधा है, बहिनों ने पक्का बन्धन
किशोर पारीक " किशोर"
वाह वाह बहुत अच्छा किशोर जी आपने बहुत ही अच्छा लिखा है आपने तो दिल की बात कह दीा
जवाब देंहटाएंआनंद
भोपाल