किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, अगस्त 06, 2009

पर्यावरण गीत

हर बेटे से हर बेटी से, मेरा एक सवाल है
हर बेटे से हर बेटी से, मेरा एक सवाल है
इस मिट्टी का कर्ज चुकाये, वों ही मां का लाल है
क़ुदरत से जो छेड़ करेगा, वह कैसे बच पायेगा
अपने ही पग मार कुल्हाड़ी, अपनी मोत बुलायेगा
छेद हुवा ओजोन परत में, वह जमीन को भारी है
अंबर से भू पर तेजाबी, बरखा की तैयारी है
कोई गन्दे नालों से, मां गंगा दूषित करता है
चिमनी के धुएं से कोई, गगन कलुषित करता है
घास फूस के बिना चोपाये भूके ही मर जाते है
हेय देखिये पशु का चारा, नेताजी चर जाते है
अरबों रुपये डकार गये पर एक न बांका बाल है
वापस रकम निकाले कोई, वो ही मां का लाल है

श्‍याम चिरैया, सोन चिरैया, ना गौरैया गाती है
अमराई सूनी उदास है, कोयल ना इठलाती है
तिनका तिनका चुनकर पंछी बेमन नीड़ बनाते है
फूलों के बिन तितली मधुकर, सब गुमसुम हो जाते हैं
मन मोहक झरने केवल अब, चित्रों में बच पाये हैं
मानव ने स्‍वारथ के खातिर, जंगल भी कटवाये हैं
नदिया कूप बावड़ी सूने, पानी गया पतालों में
मीलों से जल लाती बधू के चरण भरे है छालों में
इस पीड़ा को कोइ ना जाने, यही किशोर मलाल है
आँखें खोलेगा जो जग की, सोई मां का लाल है
अमरीका जैसे देशों ने, सृष्टि को बरबाद किया
अपना कचरा भारत जैसे देशों को निर्यात किया
मौसम हमसे रूठ गये हैं ताममान भी ज्‍यादा है
और सुनामी बाढ़ें आने को, कितनी आमादा है
भुज अंजार भुलायें कैसे आता याद कवास है
हर पग पर बिखरा सा, देखो अब तक जहां विनाश

आयेगें भुकम्प ज़लज़ले, धरा बिचारी a
सरकारी सत्‍ता तो बस, रिक्‍टर पैमाने नॉंपेगीं
आये दिन अति वृष्टि कहीं तो, पड़ता कहीं अकाल है
इस मिट्टी का कर्ज चुकाये, वों ही मां का लाल है
पेड़ झाडियां ढूंढ बेलडी, गीले सूखे सब कटते
अपने अपने रूतबे माफिक, उपर तक हिस्से बँटते
कानन का आनन मुरझाया, ना चुग्‍गा है ना पानी

गिद्ध हो गया गुम, बहुत सी नसलें भी है गुम जानी
भूल गये तुम खेजडली की अदभुद सी कुरबानी को
शीश कटा कर पेड़ बचाया, ऐसी अदभुद रानी को
मूक जानवर किससे बोलें अपने मन की लाचारी
सलमान सरीखे भोले चेहरे उन पर पड़तें है भारी
कहां गई गोडावन अपनी, केहरी हुवा हलाल है
इस संकट से हमें बचाए कोई मां को लाल है

किशोर पारीक " किशोर" 

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