कल से पहले, आज की सोच
भूखा है, अनाज की सोच
उनके पांवों में ना चप्पल
खुद के मत तू, ताज की सोच
मूल बचा, मत ब्याज की सोच
जिस अम्मा ने बख्शी सांसें
चुप क्यूँ है, आवाज की सोच
काबा कशी में, क्या रक्खा ?
मन मंदिर के साज़, की सोच हरदम तुझको, देखे यारब
उसके तू अंदाज़ की सोच
किशोर पारीक" किशोर"
NICE
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SHEKHAR KUMAWAT