किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।

किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



बुधवार, अप्रैल 07, 2010

कबूतर के माध्यम से मिसकाल

कबूतर के माध्यम से मिसकाल

एक प्रेमी
जोड़ा
कबूतर के माध्यम से
संदेशो का सिलसिला
जोड़ा
एक  दिन प्रेमिका के
चाँद से चेहरे पर
उदासी की अमावस्या
छाई   थी
कबूतर तो आया था
एस एम् एस
नहीं लाया था
मिलने पर पूछा
कारण
प्रेमी ने कहा हे
मेरी चंपारण
ये ही तो मेरा कमाल  था
कपोत  के साथ
ये मेरा मिसकाल था !
किशोर पारीक " किशोर"

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्यार करने वालों का शुरू से ही कबूतर दोस्त रहा है। अब तो जमाना काफी हाईटेक हो चुका है ऐसे में लोग कबूतरों को तो भूलते ही जा रहे हैं। आपकी ये रचना पसंद आई।

    जवाब देंहटाएं