किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



रविवार, मार्च 28, 2010

खोया बचपन कैसे लोटे, मित्र पुराने छोटे-छोटे

खोया बचपन कैसे लोटे, मित्र पुराने छोटे-छोटे
यादों की पुरवाई लाये, सावन में झूलों के झोटें

चंदामामा से बतियाना,
धमा चोकड़ी शोर मचाना
माँ के आँचल में छुप जाना
शेतानी पर पापा भरते,
बगल हमारे गजब चिकोटे
खोया बचपन कैसे लोटे, मित्र पुराने छोटे-छोटे
यादों की पुरवाई लाये, सावन में झूलों के झोटें

धरती,अम्बर, नदिया,पानी
परियां, तितली,राजा-रानी,
मीठी नींद सुलाती नानी
रंग बिरंगी, सतरंगी हम
पतंग उड़ाते जा परकोटे
खोया बचपन कैसे लोटे, मित्र पुराने छोटे-छोटे
यादों की पुरवाई लाये, सावन में झूलों के झोटें
भाता जादू खेल मदारी
नहीं सुहाता बस्ता भारी
पढना तो लगता लाचारी
हर इच्छा पूरी होती थी
घर में रहे भले हो टोटे
खोया बचपन कैसे लोटे, मित्र पुराने छोटे-छोटे
यादों की पुरवाई लाये, सावन में झूलों के झोटें
दोडाते कागज़ की नैया
प्यारी लगती गया मैया
हमे जगती रोज चिरैया
रह-रह कर झरते है नैना
कितनी यादें हमें कचोटे
खोया बचपन कैसे लोटे, मित्र पुराने छोटे-छोटे
यादों की पुरवाई लाये, सावन में झूलों के झोटें

2 टिप्‍पणियां:

  1. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  2. चंदामामा से बतियाना,
    धमा चोकड़ी शोर मचाना
    माँ के आँचल में छुप जाना
    शेतानी पर पापा भरते,
    बगल हमारे गजब चिकोटे

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