अब मन किसके आगे खोले, इन घावों को कौन टटोले
निकली पांख उड़ गए पांखी, ले परवाजें होले-होले
तिनका तिनका नीड़ बनाया,
शायद यह कुदरत की माया
कोई बंधन कम न आया
विकसित कुछ अरमान हुए क्या
बन बैठे वो उड़न खटोले
अब मन किसके आगे खोले, इन घावों को कौन टटोले
निकली पांख उड़ गए पांखी, ले परवाजें होले-होले
टुकुर टुकुर तकते है राहें
अब भी आयें, अब भी आयें
नब को तकती थकी निगाहें
भूल गए घर देश ठिकाना
निकले बहुत गज़ब के गोले
अब मन किसके आगे खोले, इन घावों को कौन टटोले
निकली पांख उड़ गए पांखी, ले परवाजें होले-होले
इन दर्दों को पीते पीते
यादों की जागीरें जीते
फिर भी हैं रीते के रीते
हम आपनी ममता से कहते
तुम भी बदलो अपने चोलें
अब मन किसके आगे खोले, इन घावों को कौन टटोले
निकली पांख उड़ गए पांखी, ले परवाजें होले-होले
रह रह कर झरते हैं नैना
दिल के टुकड़ों तुम खुश रहना
बाकी क्या तुमसे कुछ कहना
जाने कब हम सूखे पत्ते
तेज हवा के संग में होले
अब मन किसके आगे खोले, इन घावों को कौन टटोले
निकली पांख उड़ गए पांखी, ले परवाजें होले-होले