किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, जुलाई 16, 2009

समलेंगिकता पर गीत

समलेंगिकता पर गीतरिश्‍तों के पावन बन्‍धन में किसने दाग लगाया देखो,
रिश्‍तों के पावन बंधन , में किसने दाग लगाया देखो

मर्यादा की फुलवारी में, किसने खार उगाया देखो
आग लगी थी जगंल जगंल, वो बस्‍ती में धुस आयी है
बरबादी की लें सोगातें, दानवता भी संगलाई है
कीचड में अवगाहन करके, गंगाजल ठुकराया देखो
रिश्‍तों के पावन बन्‍धन, में किसने दाग लगाया देखो
पशुओं में भी जो ना देखा, वह इंसानो ने कर डाला
कुदरत की अनदेखी करके, आपस में डाली है माला
शर्म हया को निर्वासित कर, किसने जाल बिछाया देखो
रिश्‍तों के पावन बन्‍धन, में किसने दाग लगाया देखो
इतिहासों को चिन्‍हीत करके, अपवादों को क्‍यों रोते हो
नादानों नवपीढी में तुम, बिष की बेलें क्‍यों बोते हो
मजहब को अपमानित करके, किसने पाप रचाया देखो
रिश्‍तों के पावन बन्‍धन, में किसने दाग लगाया देखो
विधि की मोहर लगाई उस पर, विकृत मन का पागलपन है
गलियों, चौराहों, चौबारों, सब पर इनका नंगापन है
नैतिकता को अपमानित कर, क्‍या षड्यन्त्र रचाया देखो
रिश्‍तों के पावन बंधन , में किसने दाग लगाया देखो
किशोर पारीक 'किशोर'

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