किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।

किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



सोमवार, जनवरी 10, 2011

काव्य टिपण्णी

भगवान भाग्य बाँट रहे थे, सारे कवि घूमने चले गए,  लौटने पर भगवान ने बताया, अरे तुम्हारा भाग्य तो मैंने दूसरों में बाँट दिया . कवियों  ने विरोध किया तो भगवान ने सांत्वना दी, देखो है तो तुम्हारे ही भाग्य का . बस तुम्हे हरेक जगह से जा जा कर लाना होगा,  इसीलिए तो सारे   कवि लगातार प्रवास किये जा रहे हैं ..

1 टिप्पणी:

  1. प्रिय बंधुवर किशोर पारीक जी 'किशोर'
    नमस्कार !

    है तो तुम्हारे ही भाग्य का . बस तुम्हे हरेक जगह से जा जा कर लाना होगा

    वाह ! क्या ख़ूब कहा है ! अच्छा तरीका है :)

    … लेकिन किसी को शर्म भी आनी चाहिए , घर बैठे ही किसी का हिस्सा पहुंचा देना चाहिए … नहीं ? :) :)

    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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