किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।
किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।
शनिवार, मई 15, 2010
लतीफे बज़्म में ना हो, कभी काबिज़ मेरे यारो
परिंदा कह गया हमको, खुदा हाफिज़ मेरे यारो
चमन में चह चहे कायम,रहे हरगिज़ मेरे यारो
हमारा फ़र्ज़ है महफिल में, केवल शायरी होवे
लतीफे बज़्म में ना हो, कभी काबिज़ मेरे यारो
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंwaah kya baa kahi ...bahut khoob...
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