किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



शनिवार, अक्तूबर 16, 2010

धरती का स्वर्ग जिसे कहते क्या वह कश्मीर हमारा है

हे भारत में रहने वालों, क्या तुमने कभी विचारा है
धरती का स्वर्ग  जिसे कहते क्या वह कश्मीर  हमारा है
अपनी धरती अपने भाई, लगते पर बेगाने है
दिल में भरा हलाहल है, सांपों सी फटी जुबाने हैं
खुले आम भारत माता को, गाली  देकर झाड़ रहे
संविधान की उडा धज्जियाँ, ध्वजा  तिरंगा फाड़ रहे
दर्जा दिया विशिष्ट राज्य का, लुटा दिए हैं हमने दाम
नेताओं की उन भूलों के, भोग रहें है दुष्परिणाम
अपने घर से बेघर होकर, कितने पंडित चले गए 
साम्प्रदायी चालों में,देखो  बेचारे छले  गए
हम गैरों से नहीं  हारे हैं, हमकों अपनों ने मारा है
धरती का स्वर्ग  जिसे कहते क्या वह कश्मीर  हमारा है

सत्ता के गलियारों को, आतंकी अब हांक रहे 
तुष्टिकरण की पंजिरी , काश्मिरी नेता फांक रहे
कश्मीर नही भैया कोई , भूमि का  केवल टुकड़ा
भारत का ये  भाल मुकुट ,इससे ही खिलता है मुखड़ा
आशंका है नहीं बंधुवर, तन मन धन और प्राण की
सिर्फ बात है भारत माँ के, स्वाभिमान सम्मान की
उनकी नज़रों में अब अपना, वहां नहीं स्थान है
सौ करोड़ भारतवासी का, कैसा ये अपमान है
देश भक्त हिन्दुस्तानी को, करना प्रतिकार करारा है 
धरती का स्वर्ग  जिसे कहते क्या वह कश्मीर  हमारा है
अपनों की राहों में देखो, खोद रहे नित खड्डे हैं
यहाँ देश में खोफनाकं, चल रहे आठ सौ अड्डे हैं
कोइ कहता पाकिस्तानी, मुद्रा चले धडल्ले से
आंतंकी  को नोट मिल रहे, पाकिस्तानी गल्ले से
अफज़ल की माताजी,शायद लगती है  मांसी
इसीलिए ना दे पायें हैं, अफज़ल को अब तक फांसी
मुफ्ती की बेटी अपहरण का, खेला नाटक झूठा था
इसी बहाने आंतंकी दल, काराग्रह से छूटा था
अलगाव वाद की साजिश ने, फिर से हमको ललकारा है
धरती का स्वर्ग  जिसे कहते क्या वह कश्मीर  हमारा है
बहू संख्यक को गाली देना, इनकी रोज़ी रोटी है

सच्चाई जो  कह ना पाए, कलम समझ लो खोटी है
मुंह खोलें जब भी हम अपना, राजनिति का है इल्जाम
क्या संत समागम करते हैं, वहां हुर्रियत हो या तालिबान
सच्चाई से आँख मूँद कर, छेड़  रहें है उलटी राग
पत्रकारिता के चेहरे पर, ये सब लगते काले दाग
ये भूमि हमारे बाबा की, चंड्डी का तेज दुधारा है
अब और नही हम हारेंगे, पहले हारा सो हारा है
कोटि कोटि कंठों से हरदम,यही  गूंजता नारा है 
हाँ यह कश्मीर हमारा है, हाँ यह कश्मीर हमारा है
हे भारत में रहने वालों, क्या तुमने कभी विचारा है
धरती का स्वर्ग  जिसे कहते क्या वह कश्मीर  हमारा है

किशोर पारीक"किशोर"

1 टिप्पणी:

  1. Bhai Sahab Namaskar.

    Aap itani sudar rachana kaise kar lete hai. isme kvya ki sundarata or ek bauht gahari samajh hai.
    Hume aab jarurat hai ki sabhi rahat pakage bund kar ke unhe bukha marne ke liya chod dena chaiya. tabhi unhe asliyat ka pata chalega

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