बात पुरानी शब्द नये, अर्थ न जाने कहॉं गये
सच्चे मन से गर चाहा,
वो बक्शेगा बिना कहे
मंजिल पे नजरें रखना,
रस्ते होंगे नये नये
जायेगें कुछ जाने को,
बाकी के सब चले गये
भूल भुल्लइया मृग तृश्ना
किशोर तुम भी छले गये
किशोर पारीक 'किशोर'
सच्चे मन से गर चाहा,
वो बक्शेगा बिना कहे
मंजिल पे नजरें रखना,
रस्ते होंगे नये नये
जायेगें कुछ जाने को,
बाकी के सब चले गये
भूल भुल्लइया मृग तृश्ना
किशोर तुम भी छले गये
किशोर पारीक 'किशोर'
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