किशोर पारीक "किशोर"

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किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



शुक्रवार, जून 11, 2010

आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे

आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे
एकाकीपन की घड़ियों में, इक दूजे का ध्यान करें

देंखे स्वप्न सलोने सुन्दर, नीड़ बनायें इक अनुपम
मधुर चांदनी में बन  जाएँ,  इक दूजे के हम शबनम
अंतर्मन के अहसासों का, आओ हम पहचान करे
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे

आहट की अभिलाषाओं में, कब से खुला हुआ मानद्वारा
गीत मिलन के गाता जाता, ह्रदय बना हुआ बंजारा
दोनों के मन प्राण एक हों, तो राहें आसन करें
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे

मन की दूरी, तन की दूरी, का अंतर अब दूर करें
अंतर्मन के कोरे कागज़ पर,   सतरंगी रंग भरें
आओ अपने अधरों से हम, प्रीत रीत का दान करें
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे

में हूँ सागर तुम सरिता हो, आओ मुझमें मिल जाओ
मेरे जीवन की बगिया मैं, पुष्प सरीखी खिल जाओ
फिर हम गायें  प्रेम तराने, अदभुद सा ऐलान करें
आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे
एकाकीपन की घड़ियों में, इक दूजे का ध्यान करें
किशोर पारीक "किशोर"

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर व आकर्षक शब्द रूपी मोतियों से सजी मार्मिक भावों की माला..बेहतरीन रचना...बधाई।

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  2. bahut sundar prem ki utkat ichcha ka badhiya vivechan

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  3. आओ प्रियवर स्नेह तलैया में मिल कर स्नान करे

    bahut sundae

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  4. बेनामी13/8/10 07:10

    prem ki sundar rachna...

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..

    Banned Area News : Man with 32 wives inspires Nepal film

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