स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के ८१ वें जन्म दिन पर
जियों हजारों साल लताजी,प्रभू की अनुपम रचना हो
सुनले गीत तुम्हारे मधुरम, जब दर्दों को हरना हो
बरसों में पैदा होती है,कोयल एक तुम्हारी सी
जिसका स्वर इतना मीठाहो, जों शहद का झरना हो
दो अक्षर का नाम नहीं है, सुर की पूरी दुनियां है
सृष्टी की नायब कृति है, गंगा जैसी दरिया है
कान्हा की वंशी की धुन, मीरा के इकतारे सी
सात सुरों में आप लताजी, फैलती स्वर लहरिया है
किशोर पारीक "किशोर"
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