जिन्हें आकाश मिल जाये वो घर को भूल जाते हैं,
अकेले छोड़ कर माँ बाप को खुशियां मनाते हैं,
परिन्दों पे कही बातें हमें लगती हैं अब मिथ्या,
परिन्दे शाम होते ही घरों को लोट आते हैं
अकेले छोड़ कर माँ बाप को खुशियां मनाते हैं,
परिन्दों पे कही बातें हमें लगती हैं अब मिथ्या,
परिन्दे शाम होते ही घरों को लोट आते हैं
किशोर पारीक 'किशोर'