बरखा की प्रथम बूदों का स्वागत
पहली बरखा का हुआ, मनभावन अहसास ।
लम्बे लधंन बाद ज्यों, होठों लगा गिलास ।।
टप टप बूंदो की सुनी, रिदम भरी पदचाप ।
तबले पर पडने लगी, ज्यों जाकिर की थाप।।
उस दिन वह थी साथ में, उपर से बरसात ।
हाल हमारे देख कर, छाता भी मुस्कात ।।
बिजली चमके साथ में, पवन मंचाये शोर ।
तन में मन में उठ रहे, यादों भरे हिलोर ।।
मेघदूत संग भेजती, सजनी यह सन्देश ।
सावन बीता जा रहा, बालम लोटो देश ।।
दूरंदेशी देखिये, बैइये की श्रीमान ।
बरखा पहले नीड़ का, कर डा़ला निर्माण।।
किशोर पारीक 'किशोर'और देखें
पहली बरखा का हुआ, मनभावन अहसास ।
लम्बे लधंन बाद ज्यों, होठों लगा गिलास ।।
टप टप बूंदो की सुनी, रिदम भरी पदचाप ।
तबले पर पडने लगी, ज्यों जाकिर की थाप।।
उस दिन वह थी साथ में, उपर से बरसात ।
हाल हमारे देख कर, छाता भी मुस्कात ।।
बिजली चमके साथ में, पवन मंचाये शोर ।
तन में मन में उठ रहे, यादों भरे हिलोर ।।
मेघदूत संग भेजती, सजनी यह सन्देश ।
सावन बीता जा रहा, बालम लोटो देश ।।
दूरंदेशी देखिये, बैइये की श्रीमान ।
बरखा पहले नीड़ का, कर डा़ला निर्माण।।
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