चाणक्य सरिखे बनो बाज़, सरहद पर करो सफ़र यारों
शुतुरमुर्ग नीति छोड़ो , सिंह बनो फिर ललकारो
लद्दाकी पत्थरों पर उसने, लाल पेंट से चीन लिखा
ना जाने क्यों भारत मुझको,भीरु निर्बल दीन दीखा
ब्रह्म पुत्र पर बांध बना कर, जल प्रवाह को रोक रहा
रोड बनाते हम लेह मैं, दुस्सासी हमको टोक रहा
नेपाली रास्तों से अक्सर, हथियार भेजता रहता है
नापाक चीन अरुणाचल को, अपना ही कहता रहता है
बहुत गा लिए मंत्र प्रेम के, चेताओ राग मारू गाके
रहा डकार चीन तिब्बत को, सिन्धु नदी तक है आँखे
वाकई, मरुभूमि ही शौर्य रस गान करती है.
जवाब देंहटाएंअभिनन्दन
“दीपक बाबा की बक बक”
आज अमृतयुक्त नाभि न भेदो