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मंगलवार, अप्रैल 13, 2010

मुक्तक : तिरंगा


मुक्तक : तिरंगा
भारत की आत्मा का है, रूप यह तिरंगा
हमको सदा से लगता, अनूप यह तिरंगा
जब तक गगन में होंगे, सूरज चंदा तारे
तब तक रहेगा कायम, स्वरुप यह तिरंगा

लारा रहा है जग में, चितचोर यह तिरंगा
सैनिक के बाजुओं में, बन जोर यह तिरंगा
कश्मीर पे गड़ाई, दुश्मन ने अपनी नज़रें
उसकी धरा पे होगा, चहुँ और यह तिरंगा

किशोर पारीक " किशोर"

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