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सोमवार, अप्रैल 12, 2010

मुक्तक : सरताज है हिमालय, कश्मीर नयनतारा

सरताज है हिमालय, कश्मीर नयनतारा
चरणों को धोये सागर, नहलाती गंगधारा
अवतार ओ पयम्बर, खेले धारा पे जिसके
ऐसा अतुल्य भारत, प्राणों से भी प्यारा !

सीरत रही है जिसकी, सद्भाव भाई चारा
बलिदान होके  जिसको ,  वीरों  ने है संवारा
उस देश को नमन है, जो मातृ भू हमारा
कुरबान उसपे होवें , गर वो करे इशारा !

किशोर पारीक'किशोरे"