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शुक्रवार, अप्रैल 02, 2010

सरस्वती वंदना


सरस्वती वंदना
वंदन तुम्हे शारदा मैया,     मुझको तुम ऐसा वर देना
भावों की अभिव्यक्ति, सहज हो, मुझको तुम ऐसा स्वर देना

स्वर जिनसे मिटती पीडाएं, स्वर जो घावों को सहलाये
स्वर जिनको सुन सब हर्षाये, वे स्वर वाणी में भर देना
                                     मुझको तुम ऐसा स्वर देना
शब्दों में होती है,भविता, शब्दों से पुजतें है, सविता
शब्दों से बनती है,कविता, शब्दों से जड़ता हर लेना
                                मुझको तुम ऐसा स्वर देना
अक्षर ब्रह्म गहन गंभीरा, अक्षर को ही भजति मीरां
ताना-बाना बुने कबीरा, क्षर मत देना अक्षर देना
                               मुझको तुम ऐसा स्वर देना

वंदन तुम्हे शारदा मैया, मुझको तुम ऐसा वर देना

भावों की अभिव्यक्ति, सहज हो, मुझको तुम ऐसा स्वर देना
किशोर पारीक"किशोर"

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