किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर"

किशोर पारीक "किशोर" की कविताओं के ब्लोग में आपका स्वागत है।

किशोर पारीक 'किशोर' गुलाबी नगर, जयपुर के जाने माने कलमकार हैं ! किशोर पारीक 'किशोर' की काव्य चौपाल में आपका स्वागत है।



गुरुवार, अप्रैल 08, 2010

ग़ज़ल : बज़्म लतीफों से गूंजे तो, अदबी बात करें कैसे

हाकिम हो बेदर्द जहाँ पर,
फिर फरियाद करे कैसे
खोटे  सिक्के चले जहाँ पर,
उनको करें खरे कैसे
जहाँ सहर से शब होने तक,
भागमभाग लगी रहती
दो पल का भी चैन नहीं है,
रूक कर बात करे कैसे
नज़रें तो खामोश है, लेकिन
दिल में ज्वार  उठा करते
लब पर ताले जड़े  हुए हैं,
बोलो शब्द झरें कैसे
महफिल-महफिल लिए सुखनवर,
घूमे अपने गीत-ग़ज़ल
बज़्म लतीफों से गूंजे तो,
अदबी बात करें कैसे
पंख कुतर करके "किशोर" के,


बोले अम्बर नापो तुम
खाली जज्बातों से कोइ,
अब परवाज़ करे कैसे

किशोर पारीक "किशोर"

5 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khoob sir...dil chhoo liya....

    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  2. पंख कुतर करके "किशोर" के,
    बोले अम्बर नापो तुम
    खाली जज्बातों से कोइ,
    अब परवाज़ करे कैसे

    --वाह! क्या बात कही है!!

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  3. महफिल-महफिल लिए सुखनवर,घूमे अपने गीत-ग़ज़ल
    बज़्म लतीफों से गूंजे तो, अदबी बात करें कैसे

    पंख कुतर करके "किशोर" के,बोले अम्बर नापो तुम
    खाली जज्बातों से कोइ, अब परवाज़ करे कैसे

    महफ़िल को लूट ले जाने वाले शेर हैं जी
    पढ़ कर मजा आ गया

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